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Chanakya Niti Quotes चाणक्य नीति Best 30+ in Hindi
Chanakya niti quotes : आचार्य चाणक्य द्वारा कही गयी हर बात आज के समय में सही साबित है अगर आप को यकीन ना आये आप आजमा सकते हैं आचार्य निति मानव जीवन के कल्याण के लिए बनाई हैं आचार्य चाणक्य की नीतियों में संपूर्ण जीवन का सार मिलता है। चाणक्य की नीतियां ध्यान रखेंगे तो कई परेशानियों से बच सकते हैं |
अति सुंदर होने के कारण सीता का हरण हुआ, अत्यंत अहंकार के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान के कारण राजा बलि बांधा गया। अतः सभी के लिए अति ठीक नहीं है। ‘अति सर्वथा वर्जयते।’ अति को सदैव छोड़ देना चाहिए। - chanakya niti with examples
समर्थ को भार कैसा ? व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर क्या ? विद्वान के लिए विदेश कैसा? मधुर वचन बोलने वाले का शत्रु कौन ? - chanakya niti video mein
एक ही सुगन्धित फूल वाले वृक्ष से जिस प्रकार सारा वन सुगन्धित हो जाता है, उसी प्रकार एक सुपुत्र से सारा कुल सुशोभित हो जाता है। - chanakya niti dushman
आग से जलते हुए सूखे वृक्ष से सारा वन जल जाता है जैसे की एक नालायक (कुपुत्र) लड़के से कुल का नाश होता है। - चाणक्य नीति
जिस प्रकार चन्द्रमा से रात्रि की शोभा होती है, उसी प्रकार एक सुपुत्र, अर्थात साधु प्रकृति वाले पुत्र से कुल आनन्दित होता है। - chanakya niti video
शौक और दुःख देने वाले बहुत से पुत्रों को पैदा करने से क्या लाभ है ? कुल को आश्रय देने वाला तो एक पुत्र ही सबसे अच्छा होता है। - chanakya niti hindi mein
पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए। -chanakya niti with examples
देश में भयानक उपद्रव होने पर, शत्रु के आक्रमण के समय, भयानक दुर्भिक्ष(अकाल) के समय, दुष्ट का साथ होने पर, जो भाग जाता है, वही जीवित रहता है। - chanakya niti dushman
जिसके पास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इनमे से एक भी नहीं है, उसके लिए अनेक जन्म लेने का फल केवल मृत्यु ही होता है। - chanakya niti hindi mein
जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। - चाणक्य नीति
यह निश्चित है की शरीरधारी जीव के गर्भकाल में ही आयु, कर्म, धन, विध्या, मृत्यु इन पांचो की सृष्टि साथ-ही-साथ हो जाती है। - chanakya niti love
साधु महात्माओ के संसर्ग से पुत्र, मित्र, बंधु और जो अनुराग करते है, वे संसार-चक्र से छूट जाते है और उनके कुल-धर्म से उनका कुल उज्जवल हो जाता है। - chanakya niti love
जिस प्रकार मछली देख-रेख से, कछुवी चिड़िया स्पर्श से (चोंच द्वारा) सदैव अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही अच्छे लोगोँ के साथ से सर्व प्रकार से रक्षा होती है। - चाणक्य नीति
यह नश्वर शरीर जब तक निरोग व स्वस्थ है या जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक मनुष्य को अपने सभी पुण्य-कर्म कर लेने चाहिए क्योँकि अंत समय आने पर वह क्या कर पाएगा। - chanakya niti bani
विध्या कामधेनु के समान सभी इच्छाए पूर्ण करने वाली है। विध्या से सभी फल समय पर प्राप्त होते है। परदेस में विध्या माता के समान रक्षा करती है। विद्वानो ने विध्या को गुप्त धन कहा है, अर्थात विध्या वह धन है जो आपातकाल में काम आती है। इसका न तो हरण किया जा सकता हे न ही इसे चुराया जा सकता है। - chanakya niti bani
सैकड़ो अज्ञानी पुत्रों से एक ही गुणवान पुत्र अच्छा है। रात्रि का अंधकार एक ही चन्द्रमा दूर करता है, न की हजारों तारें। - चाणक्य नीति
बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है, परन्तु मूर्ख पुत्र जीवनभर जलाता है। - चाणक्य नीति
बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री, नीच कुल की सेवा, बुरा भोजन, मूर्ख लड़का, विधवा कन्या, ये छः बिना अग्नि के भी शरीर को जला देते है। - chanakya niti video
उस गाय से क्या लाभ, जो न बच्चा जने और न ही दूध दे। ऐसे पुत्र के जन्म लेने से क्या लाभ, जो न तो विद्वान हो, न किसी देवता का भक्त हो। - चाणक्य नीति
इस संसार में दुःखो से दग्ध प्राणी को तीन बातों से सुख शांति प्राप्त हो सकती है – सुपुत्र से, पतिव्रता स्त्री से और सद्संगति से। - चाणक्य नीति
राजा लोग एक ही बार बोलते है (आज्ञा देते है), पंडित लोग किसी कर्म के लिए एक ही बार बोलते है (बार-बार श्लोक नहीं पढ़ते), कन्याएं भी एक ही बार दी जाती है। ये तीन एक ही बार होने से विशेष महत्व रखते है। - चाणक्य नीति
तपस्या अकेले में, अध्ययन दो के साथ, गाना तीन के साथ, यात्रा चार के साथ, खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से सहायको के साथ होने पर ही उत्तम होता है। - chanakya niti quotes
पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है। - chanakya niti quotes
बिना पुत्र के घर सुना है। बिना बंधु-बांधवों के दिशाएं सूनी है। मूर्ख का ह्रदय भावों से सूना है। दरिद्रता सबसे सूनी है, अर्थात दरिद्रता का जीवन महाकष्टकारक है। - चाणक्य नीति
बार-बार अभ्यास न करने से विध्या विष बन जाती है। बिना पचा भोजन विष बन जाता है, दरिद्र के लिए स्वजनों की सभा या साथ और वृद्धो के लिए युवा स्त्री विष के समान होती है। - चाणक्य नीति
दयाहीन धर्म को छोड़ दो, विध्या हीन गुरु को छोड़ दो, झगड़ालू और क्रोधी स्त्री को छोड़ दो और स्नेहविहीन बंधु-बान्धवो को छोड़ दो। - चाणक्य नीति
बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्यों को बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के साथ पुरुष का समागम न होना और वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से बुढ़ापा आ जाता है। - चाणक्य नीति
बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने है, हमारा समय कैसा है-अच्छा है या बुरा और यदि बुरा है तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए। हमारा निवास-स्थान कैसा है (सुखद,अनुकूल अथवा विपरीत), हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है, मै कौन हूं- आत्मा हूं, अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी है। - चाणक्य नीति
जन्म देने वाला पिता, उपनयन संस्कार कराने वाला, विध्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला ये पांच ‘पितर’ माने जाते है। - चाणक्य नीति
राजा की पत्नी, गुरु की स्त्री, मित्र की पत्नी, पत्नी की माता (सास) और अपनी जननी —-ये पांच माताएं मानी गई है। इनके साथ मातृवत् व्यवहार ही करना चाहिए। - चाणक्य नीति
Chanakya niti quotes In Hindi
अति सुंदर होने के कारण सीता का हरण हुआ, अत्यंत अहंकार के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान के कारण राजा बलि बांधा गया। अतः सभी के लिए अति ठीक नहीं है। ‘अति सर्वथा वर्जयते।’ अति को सदैव छोड़ देना चाहिए। - chanakya niti with examples
समर्थ को भार कैसा ? व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर क्या ? विद्वान के लिए विदेश कैसा? मधुर वचन बोलने वाले का शत्रु कौन ? - chanakya niti video mein
एक ही सुगन्धित फूल वाले वृक्ष से जिस प्रकार सारा वन सुगन्धित हो जाता है, उसी प्रकार एक सुपुत्र से सारा कुल सुशोभित हो जाता है। - chanakya niti dushman
आग से जलते हुए सूखे वृक्ष से सारा वन जल जाता है जैसे की एक नालायक (कुपुत्र) लड़के से कुल का नाश होता है। - चाणक्य नीति
Chanakya niti quotes In hindi
जिस प्रकार चन्द्रमा से रात्रि की शोभा होती है, उसी प्रकार एक सुपुत्र, अर्थात साधु प्रकृति वाले पुत्र से कुल आनन्दित होता है। - chanakya niti video
शौक और दुःख देने वाले बहुत से पुत्रों को पैदा करने से क्या लाभ है ? कुल को आश्रय देने वाला तो एक पुत्र ही सबसे अच्छा होता है। - chanakya niti hindi mein
पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए। -chanakya niti with examples
देश में भयानक उपद्रव होने पर, शत्रु के आक्रमण के समय, भयानक दुर्भिक्ष(अकाल) के समय, दुष्ट का साथ होने पर, जो भाग जाता है, वही जीवित रहता है। - chanakya niti dushman
जिसके पास धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इनमे से एक भी नहीं है, उसके लिए अनेक जन्म लेने का फल केवल मृत्यु ही होता है। - chanakya niti hindi mein
Chanakya niti quotes hindi
जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। - चाणक्य नीति
यह निश्चित है की शरीरधारी जीव के गर्भकाल में ही आयु, कर्म, धन, विध्या, मृत्यु इन पांचो की सृष्टि साथ-ही-साथ हो जाती है। - chanakya niti love
साधु महात्माओ के संसर्ग से पुत्र, मित्र, बंधु और जो अनुराग करते है, वे संसार-चक्र से छूट जाते है और उनके कुल-धर्म से उनका कुल उज्जवल हो जाता है। - chanakya niti love
जिस प्रकार मछली देख-रेख से, कछुवी चिड़िया स्पर्श से (चोंच द्वारा) सदैव अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही अच्छे लोगोँ के साथ से सर्व प्रकार से रक्षा होती है। - चाणक्य नीति
यह नश्वर शरीर जब तक निरोग व स्वस्थ है या जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक मनुष्य को अपने सभी पुण्य-कर्म कर लेने चाहिए क्योँकि अंत समय आने पर वह क्या कर पाएगा। - chanakya niti bani
विध्या कामधेनु के समान सभी इच्छाए पूर्ण करने वाली है। विध्या से सभी फल समय पर प्राप्त होते है। परदेस में विध्या माता के समान रक्षा करती है। विद्वानो ने विध्या को गुप्त धन कहा है, अर्थात विध्या वह धन है जो आपातकाल में काम आती है। इसका न तो हरण किया जा सकता हे न ही इसे चुराया जा सकता है। - chanakya niti bani
सैकड़ो अज्ञानी पुत्रों से एक ही गुणवान पुत्र अच्छा है। रात्रि का अंधकार एक ही चन्द्रमा दूर करता है, न की हजारों तारें। - चाणक्य नीति
बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है, परन्तु मूर्ख पुत्र जीवनभर जलाता है। - चाणक्य नीति
बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री, नीच कुल की सेवा, बुरा भोजन, मूर्ख लड़का, विधवा कन्या, ये छः बिना अग्नि के भी शरीर को जला देते है। - chanakya niti video
उस गाय से क्या लाभ, जो न बच्चा जने और न ही दूध दे। ऐसे पुत्र के जन्म लेने से क्या लाभ, जो न तो विद्वान हो, न किसी देवता का भक्त हो। - चाणक्य नीति
Chanakya niti quotes In english
इस संसार में दुःखो से दग्ध प्राणी को तीन बातों से सुख शांति प्राप्त हो सकती है – सुपुत्र से, पतिव्रता स्त्री से और सद्संगति से। - चाणक्य नीति
राजा लोग एक ही बार बोलते है (आज्ञा देते है), पंडित लोग किसी कर्म के लिए एक ही बार बोलते है (बार-बार श्लोक नहीं पढ़ते), कन्याएं भी एक ही बार दी जाती है। ये तीन एक ही बार होने से विशेष महत्व रखते है। - चाणक्य नीति
तपस्या अकेले में, अध्ययन दो के साथ, गाना तीन के साथ, यात्रा चार के साथ, खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से सहायको के साथ होने पर ही उत्तम होता है। - chanakya niti quotes
पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है। - chanakya niti quotes
बिना पुत्र के घर सुना है। बिना बंधु-बांधवों के दिशाएं सूनी है। मूर्ख का ह्रदय भावों से सूना है। दरिद्रता सबसे सूनी है, अर्थात दरिद्रता का जीवन महाकष्टकारक है। - चाणक्य नीति
बार-बार अभ्यास न करने से विध्या विष बन जाती है। बिना पचा भोजन विष बन जाता है, दरिद्र के लिए स्वजनों की सभा या साथ और वृद्धो के लिए युवा स्त्री विष के समान होती है। - चाणक्य नीति
दयाहीन धर्म को छोड़ दो, विध्या हीन गुरु को छोड़ दो, झगड़ालू और क्रोधी स्त्री को छोड़ दो और स्नेहविहीन बंधु-बान्धवो को छोड़ दो। - चाणक्य नीति
बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्यों को बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के साथ पुरुष का समागम न होना और वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से बुढ़ापा आ जाता है। - चाणक्य नीति
बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने है, हमारा समय कैसा है-अच्छा है या बुरा और यदि बुरा है तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए। हमारा निवास-स्थान कैसा है (सुखद,अनुकूल अथवा विपरीत), हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है, मै कौन हूं- आत्मा हूं, अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी है। - चाणक्य नीति
जन्म देने वाला पिता, उपनयन संस्कार कराने वाला, विध्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला ये पांच ‘पितर’ माने जाते है। - चाणक्य नीति
राजा की पत्नी, गुरु की स्त्री, मित्र की पत्नी, पत्नी की माता (सास) और अपनी जननी —-ये पांच माताएं मानी गई है। इनके साथ मातृवत् व्यवहार ही करना चाहिए। - चाणक्य नीति
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